बैटरी मैनेजमेंट एवं हैंडलिंग रूल्स 2001 के अंतर्गत पहली कार्यवाही राजस्थान में

हाल ही में राजस्थान के बैटरी उद्यमियों को राजस्थान राज्य पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से बैटरी मैनेजमेंट एवं हैंडलिंग हैंडलिंग रूल्स 2001 के अंतर्गत एक आदेश पत्र भेजा गया । इस पत्र में सभी बैटरी डीलरों को बैटरी मैनेजमेंट एवं हैंडलिंग रूल्स 2001 के नियम 7 के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य बताकर उनसे एक फार्म में नई बैटरी की बिक्री और पुरानी बैटरी की वापसी की जानकारी  मांगी गई| इस नियम के अंतर्गत  बैटरी विक्रेता हर छह महीने में बैटरी की बिक्री व वापसी का विवरण विभाग में जमा कराने को बाध्य होंगे। 

बैटरी मैनेजमेंट एवं हैंडलिंग रूल्स 2001 के अंतर्गत पहली कार्यवाही राजस्थान में
कोटा बैटरी एसोसिएशन मीटिंग 29 Jan 2021

राजस्थान के बैटरी उद्यमियों और विक्रेताओं को रजिस्ट्रेशन करने का आदेश भेजा गया

इस आदेश  के संदर्भ में कोटा बैटरी उद्योग असोसिएशन ने दिनांक 29 जनवरी को हिंद मोटर्स के कार्यालय में एक मीटिंग की। मीटिंग में इस नियम के अंतर्गत रजिस्ट्रैशन करने को लेकर विस्तार से चर्चा की गई| सदस्यों ने  छोटे व्यापारियों के हित को देखते हुए रजिस्ट्रैशन को 15 मार्च तक स्थगित कर इस पर देश के अन्य बैटरी संगठनों से चर्चा कर अंतिम निर्णय पर पहुचने का निश्चय किया | मीटिंग में एसोसिएशन के फाउंडर प्रेसिडेंट श्री रवि नाकरा, अध्यक्ष श्री सलीम अब्बासी और सेक्रेटरी श्री आशीष माहेश्वरी सहित सभी सदस्यों ने भाग लिया ।

एसोशिएशन के स्थापक-अध्यक्ष श्री रवि नाकरा व अध्यक्ष श्री सलीम अब्बासी  के अनुसार भारत के लघु उद्योग के हिसाब से बैटरी मैनेजमेंट रूल बहुत ही बेतुका कानून है। इस कानून से छोटा बैटरी निर्माता कागजों के जाल में फंसा रह जाएगा। वह पहले से ही जीएसटी जैसे कानून के कागजी जाल में फंसा हुआ है। इस तरह के और नए कानून यह बता रहे हैं कि श सरकार लघु उद्योग को बिलकुल खत्म करने पर तुली हुई है। छोटा बैटरी उद्यमी पहले बाजार की दशा को लेकर परेशान हैं। नए जीएसटी कानून ने उसकी रोजीरोटी खत्म करने पर ख़तरा पैदा हो गया है वहीं अब पर्यावरण कानूनों के जरिए उसके ताबूत में अंतिम कील ठोकने का काम किया जा रहा है। ऐसा लगता है की जैसे सरकार ने बैटरी उद्योग को सिर्फ बड़ी कंपनियों के हाथों में ही देने ही देने का मन बना लिया है।

नई टैक्स व्यवस्था के चलते और विषम मार्केट परिस्थितियों के कारण हजारों बैटरी जन पहले ही उत्पादन छोड़कर बिक्री के धंधे में आ गए हैं। इसका सीधा सा मतलब यह है की जो आदमी कम से कम 10 परिवारों क पेट भर रहा था वह आज केवल अपना परिवार का खर्चा चला रहा है। इन फैसलों से विशाल स्तर पर बेरोजगारी पैदा हुई है । सिर्फ बेरोजगारी ही नहीं बल्कि भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा | विभाग के अधिकारी – कर्मचारी किसी न किसी बहाने उद्यमी को परेशान और प्रताड़ित करेंगे | ये नियम उनको काली कमाई का साधन देगा| ऐसा लगता है की सरकार खुद ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना चाहती है| राज्य सरकार को इस तरह के नियमों को लागू करने से पहले प्रदेश के संबंधित उद्योग संगठनों से बातचीत करनी चाहिए |

सदस्यों का मानना है की इस नियम को लागू करने के पीछे बड़ी बैटरी कंपनियों का दबाव है | वे चाहती है की पुरानी बैटरी उन्हे ही वापिस  मिले और वो अपने मनमाने रेट पर पुरानी बैटरी खरीदे और अपने लाभ को बढ़ाए| इस नियम से ग्राहक का भी नुकसान है| कंपनियां अपने लाभ को बढ़ाने के लिए स्क्रैप बैटरी का कम से कम दाम देगी | ये कदम भी छोटे  बैटरी उद्यमियों को खत्म कर देगा |सदस्यों के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है की  ये सर खेल सारा खेल बड़ी कंपनियों की शह पर खेला जा रहा है। उनका मकसद हो सकता है कि वे इस बहाने छोटे निर्माताओं को प्रदूषण नियंत्रण की कागजी कार्रवाई में घेरकर उनका काम बंद करा दें |

इन सभी बिदुओं पर चर्चा के बाद कोटा बैटरी असोसिएशन की मीटिंग में ये तय हुआ की राजस्थान पोल्लुशन कंट्रोल पॉल्यूशन कंट्रोल डिपार्टमेंट की ओर से आए फार्म को न हीं भरना है और न बोर्ड मे किसी प्रकार का रेजिस्ट्रैशन करना है | यह फॉर्म केवल राजस्थान पॉल्यूशन कंट्रोल विभाग की ओर से ही जारी हुआ है| देश में अन्य कहीं भी इस तरह का कार्य किसी भी राज्य विभाग की ओर से नहीं किया गया है। ।

कोटा असोसिएशन ने यह तय किया कि वे अपनी बात विभाग के अधिकारियों वे उच्च अधिकारियों व शासन के समक्ष रखेंगे|