लघु उद्योग एम.एस.एम.ई. मंत्रालय की किन योजनाओं में सुविधाजनक ऋण ले सकते हैं और कैसे

कोविड ने पैसों को लेकर बहुत परेशान किया है। काम बंद , पैसे आने का रास्ता नहीं लेकिन खर्चे लगभग पहले जैसे। काम बढ़ाने की सोचो तो एक सीमा के बाद या किसी भी विस्तार योजना के लिए बाहर से पैसे जुटाने की आवश्यकता होने लगती है। ऐसे अवसर पर सहायता के लिए सरकार की ओर से कुछ विशेष योजनाएं चलाई जा रही हैं, ताकि उद्यमी को पैसे के कारण परेशानी का सामना न करना पड़े और सरल और सस्ती दरों पर पैसा उधार मिल जाए।

लघु उद्योग एम.एस.एम.ई. मंत्रालय की किन योजनाओं में सुविधाजनक ऋण ले सकते हैं और कैसे

आवश्यकता है जानकारी की कि ये कैसे होगा। यहाँ इस संबंध मे भारत सरकार ने कई कदम उठाए हैं और एमएसएमई को ऋण देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।

एमएसएमई के लिए ऋण सुविधाएं प्रदान करने के लिए भारत सरकार कई ऋण योजनाएं लेकर आई है और यहां तक कि बैंकिंग क्षेत्र और वित्तीय संस्थान भी उन्हें ऋण प्रदान करते हैं । COVID-19 के कारण पैसे के लिए परेशान उद्यमी या व्यापारी इन नीचे लिखी योजनाओं का लाभ लेकर अपनी परेशानी एक सीमा तक तो खत्म कर ही सकता है।

  1. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमवाईवाई)
  2. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी)
  3. माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (सीजीटी एमएसई) के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड
  4. क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी स्कीम (सीएलसीएसएस)
  5. फंड ऑफ फंड के माध्यम से एमएसएमई के लिए इक्विटी इन्फ्यूजन
  6. अधीनस्थ ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी योजना (सीजीएसडी)
  7. सिडबी मेक इन इंडिया लोन फॉर एंटरप्राइजेज (स्माइल)
  8. 59 मिनट में स्टार्टअप्स के लिए एमएसएमई बिजनेस लोन
  9. बैंकों द्वारा एमएसएमई ऋण योजना

1. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमवाईवाई)

माननीय प्रधानमंत्री ने 8 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमवाईवाई) योजना की शुरुआत की थी। इस योजना में गैर-कारपोरेट और गैर-कृषि लघु या सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख तक का ऋण दिया जाता है। इन ऋणों को पीएमवाईवाई के तहत मुद्रा (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड) ऋण के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

मुद्रा एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) है। यहाँ से तीन तरह की इकाइयां 10 लाख तक का ऋण ले सकती हैं। इकाइयों को ऋण बैंकों, माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (एमएफआईएस) और एनबीएफसी द्वारा प्रदान कराया जाता है। उद्यमी या व्यापारी  इनमें से किसी भी ऋण देने वाले संस्थानों से संपर्क कर सकते हैं या उदयमित्र पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं।

पीएमवाईवाई की योजना के तहत तीन स्तरों - शिशु, किशोर और तरुण के अंतर्गत इकाइयों को उनकी आवश्यकता या योजना के अनुसार ऋण प्रदान किया जाता है।

सहायता की प्रकृति - 'शिशु' योजना मे 50,000 रुपये तक का, 'किशोर' योजना में 50,000 रुपये से 5 लाख रुपये तक व 'तरुण' सूक्ष्म इकाइयों को 10 लाख रुपये या इससे ऊपर का ऋण प्रदान किया जाता है।

2. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी)

यह योजना दो योजनाओं - प्रधानमंत्री रोजगार योजना (पीएमवाई) और ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम (आरईजीपी) को मिला कर बनाई गई है। इसका उद्देश्य गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यम प्रतिष्ठानों के माध्यम से बेरोजगार युवाओं और पारंपरिक कारीगरों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है। इसे खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा चलाया जाता है।  

खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग राष्ट्रीय स्तर पर इस योजना के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। राज्य स्तर पर, यह योजना राज्य केवीआईसी निदेशालयों, जिला उद्योग केंद्रों (डीआईसी), राज्य खादी और ग्रामोद्योग बोर्डों (केवीआईबी) और बैंकों के माध्यम से लागू की जाती है।

इस योजना के तहत केवीआईसी उद्यमियों या लाभार्थियों को बैंक का कर्ज सीधे लाभार्थी के नामित बैंक खाते में भेज दिया जाता है।

कौन इसका लाभ उठा सकता है- - कोई भी व्यक्ति जो 18 वर्ष से अधिक आयु का व कम से कम आठवीं पास होना चाहिए, वह इसका लाभ ले सकता है। इस योजना के अंतर्गत उद्योग की लागत 10 लाख रुपये से और व्यापार या सेवा क्षेत्र मे 5 लाख रुपये से अधिक की पूंजी की आवश्यकता हो। तभी इस योजना के तहत सिर्फ नई परियोजनाओं को मंजूरी देने पर विचार किया जाता है। स्वयं सहायता समूह, सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860, उत्पादन आधारित सहकारी समितियां और चैरिटेबल ट्रस्ट के तहत पंजीकृत संस्थाएं भी पात्र हैं।

पीएमआरवाई, आरईजीपी या भारत सरकार या राज्य सरकार की किसी अन्य योजना के तहत मौजूद कोई भी इकाई पात्र नहीं है। यहां तक कि भारत सरकार या राज्य सरकार की किसी अन्य योजना के तहत जो इकाइयां पहले ही सरकारी सब्सिडी का लाभ उठा चुकी हैं, वे भी पात्र नहीं हैं।

सहायता कैसे होगी – इस योजना के लिए सहायता उनको दी जाएगी जिन उद्योग क्षेत्र में स्वीकार्य परियोजना या इकाई की अधिकतम लागत 25 लाख रुपये और व्यापार या सेवा क्षेत्र में 10 लाख रुपये है।

सामान्य वर्ग के शहरी क्षेत्र के निवासी को 15 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 25 प्रतिशत की दर से सब्सिडी दी जाती है। विशेष श्रेणी के लिए सब्सिडी की दर शहरी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 35 प्रतिशत है।

www.cleartax.in से  साभार

अगले अंक मे जारी---